जीव विज्ञान की परिभाषा (Definition of Biology)
जीव विज्ञान (Biology) विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत समस्त जीवधारियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। जीवधारियों की उत्पत्ति, उनका विकास, क्रियाकलाप, उनकी रचना, वातावरण का उन पर प्रभाव तथा उनकी पारस्परिक क्रियाएँ और यहाँ तक की उनकी मृत्यु सभी जीव विज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन किए जाने वाले विषय हैं ।
जीव-विज्ञान को विज्ञान की एक शाखा के रूप में स्थापित करने का श्रेय अरस्तू को जाता है। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में खास तौर से जीव-विज्ञान के क्षेत्र में काफी अध्ययन किया। इस कारण अरस्तू को जीव-विज्ञान का जनक कहा जाता है। लेकिन जीवधारियों के अध्ययन के लिए “बायोलॉजी' शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1801 ई. में लैमार्क (फ्रांस) और ट्रेविरनस (जर्मनी) नामक दो वैज्ञानिकों ने किया था।
वनस्पति विज्ञान तथा प्राणिविज्ञान जीव विज्ञान की दो शाखाएँ हैं । वनस्पति विज्ञान के अन्तर्गत वनस्पतियों अर्थात् पेड़-पीधों का अध्ययन किया जाता है। प्राणि विज्ञान के अन्तर्गत जन्तुओं तथा उसके क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाता है। थियोफ्रेस्टस नामक वनस्पति शास्त्री ने अपनी पुस्तक Historia Plantarum में 500 किस्म के पौधों का वर्णन किया है। थियोफ्रेस्टस को वनस्पति विज्ञान का जनक कहा जाता है। अरस्तू ने अपनी पुस्तक Historia Animalium में लगभग 500 जन्तुओं का वर्णन किया है। अरस्तू को जन्तु विज्ञान का जनक कहा जाता है।
जीवधारियों का वर्गीकरण (Classification of Organisms)
जीवधारियों के वर्गीकरण को वैज्ञानिक आधार जॉन रे नामक वैज्ञानिक ने प्रदान किया, लेकिन जीवधारियों के आधुनिक वर्गीकरण में सबसे प्रमुख योगदान स्वीडिश वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस (1708 - 1778 ई.) का है । लीनियस ने अपनी पुस्तकों जेनेरा प्लाण्टेरम (Genera Plantarum), सिस्टेमा नेचुरी (Systema Naturae), क्लासेस प्लाण्टेरम (Classes Plantarum) एवं फिलासोफिया बॉटेनिका (Philosophia Botanica) में जीवधारियों के वर्गीकरण पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला | इन्होंने अपनी पुस्तक Systema Naturae में सम्पूर्ण जीवधारियों को दो जगतों (Kingdoms) - पादप जगत (Plant kingdom) तथा जन्तु जगत (Animal kingdom) में विभाजित किया। इससे जो वर्गीकरण की प्रणाली शुरू हुई उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी; इसलिए कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) को वर्गिकी का पिता (Father of Taxonomy) कहा जाता है।
परम्परागत द्वि-जगत वर्गीकरण का स्थान अन्ततः आर० एच० हट्टेकर (R. H. Whittaker) द्वारा सन् 1969 ई० में प्रस्तावित 5-जगत प्रणाली ने ले लिया। इसके अनुसार समस्त जीवों को निम्नलिखित पाँच जगत (Kingdom) में वर्गीकृत किया गया - (1) मोनेरा (Monera), (2) प्रोटिस्टा (Protista), (3) पादप (Plantae), (4) कवक (Fungi) तथा (5) एनीमेलिया (Animalia)।
(1) मोनेरा (Monera) - इस जगत में सभी प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु, सायनोबैक्टीरिया तथा आर्कीबैक्टीरिया सम्मिलित किए गए हैं। तन्तुमय जीवाणु भी इसी जगत के भाग हैं।
(2) प्रोटिस्टा (Protista) - इस जगत में विविध प्रकार के एककोशिकीय प्राय: जलीय यूकैरियोटिक जीव सम्मिलित किए गए हैं। पादप व जन्तु के बीच स्थित यूग्लीना इसी जगत में है। यह दो प्रकार की जीवन पद्धति प्रदर्शित करती है - सूर्या के प्रकाश में स्वपोषित एवं प्रकाश के अभाव में इतर पोषित।
(3) पादप (Plantae) - इस जगत में प्रायः वे सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषी उत्पादक जीव सम्मिलित हैं । शैवाल, मॉस, पुष्पीय तथा अपुष्पीय बीजीय पौधे इसी जगत के अंग हैं।
(4) कवक (Fungi) - इस जगत में वे यूकैरियोटिक तथा परपोषित जीवधारी सम्मिलित किए गए हैं, जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है। ये सभी इतरपोषी होते हैं। ये परजीवी अथवा मृतोपजीवी होते हैं। इसकी कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है।
(5) एनीमेलिया (Animalia) - इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जन्तु समभोजी यूकैरियोटिक, उपभोक्ता जीव सम्मिलित किए गए हैं। इनको मेटाजोआ भी कहते हैं। हाइड्रा, जैलीफिश, कृमि, सितारा मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव इसी जगत के अंग हैं ।
जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति (Binary nomenclature of organisms)
सन् 1753 में कैरोलस लीनियस ने जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति को प्रचलित किया। इस पद्धति के अनुसार, प्रत्येक जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बनता है। पहला शब्द वंश नाम (Generic name) तथा दूसरा शब्द जाति नाम (Species name) कहलाता है | वंश तथा जाति नामों के बाद उस वर्गिकीविद (वैज्ञानिक) का नाम लिखा जाता है, जिसने सबसे पहले उस जाति को खोजा या जिसने इस जाति को सबसे पहले वर्तमान नाम प्रदान किया, जैसे - मानव का वैज्ञानिक नाम होमो सैपियन्स लिन (Homo sapiens Linn) है। वास्तव में होमो (Homo) उस वंश का नाम है, जिसकी एक जाति सैपियन्स (sapiens) है। लिन (Linn) वास्तव में लीनियस (Linnaeus) शब्द का संक्षितत रूप है। इसका अर्थ यह है कि सबसे पहले लीनियस ने इस जाति को होमो सैपियन्स नाम से पुकारा है ।
जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के जनक (Father of various branches of biology)
जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के जनक | ||
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क्रम संख्या | शाखा | जनक |
1 | जीव विज्ञान | अरस्तू |
2 | सुजननिकी | एफ. गाल्टन |
3 | प्रतिरक्षा विज्ञान | एडवर्ड जैनर |
4 | आधुनिक आनुवंशिकी | टी. एच. मॉर्गन |
5 | पादप शारीरिकी | एन. गिऊ |
6 | चिकित्साशास्त्र | हीप्पोक्रेट्स |
7 | उत्परिवर्तन सिद्धांत | ह्यूगो डी ब्राइज |
8 | कवक विज्ञान | माइकेली |
9 | जीवाणु विज्ञान | ल्यूवेनहॉक |
10 | भारतीय कवक विज्ञान | ई. जे. बुट्लर |
11 | भारतीय परिस्थितिकी | आर. मिश्रा |
12 | आधुनिक भ्रूण विज्ञान | वॉन बेयर |
13 | जीवाश्मिकी | लियोनार्डो डी विन्सी |
14 | आधुनिक वनस्पति विज्ञान | कैरोलस लीनियस |
15 | आनुवंशिकी | ग्रेगर जॉन मेण्डल |
16 | कोशिका विज्ञान | रॉबर्ट हुक |
17 | वर्गिकी | कैरोलस लीनियस |
18 | ऊतक विज्ञान | मार्सेलो मैल्पीगी |
19 | तुलनात्मक शारीरिकी | जी. क्यूवियर |
20 | पादप कार्ययिकी | स्टीफन हेल्स |
21 | सूक्ष्म जीव विज्ञान | लुईस पाश्चर |
22 | भारतीय ब्रायोलॉजी | आर. एम. कश्यप |
23 | भारतीय शैवाल विज्ञान | एम. ओ. ए. आयंगर |
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